फसल के नीक पैदावार के लेल आव वैज्ञानिक ढ़ंग सँ खेती करय पड़त। कम मेहनत मे नीक उत्पादक तखने होयतैय जखन नवीन प्रौद्योगिकी, कृषि आदान, कृषि उपकरण, मौसम, विपणन आदि के जानकारी रहवाक चाही। पहिने मौसम वैज्ञानिक के रूप में ''धाध'' ''डाक'' के द्रलोक सँ काज करैत छलाइ किसान लेकिन आव रेडियों के माध्यम सँ एकर जानकारी भेटैत रहैत छैक।
माछ, काँकोर, सजावटी माछ, पालन मिथिलांचल बहुत नीक छल, एकर वैज्ञानिक जानकारी प्राप्त क उत्पादन के ला सँ जल संरक्षण सेहो होइत छैक संगहि आ अहि लेल एक कहावत प्रचलित अछि जे ''पगि-पगि पोखरि, पान माछ, मखान'' इ थिक मिथिला क पहिचान।
एक कहावत मिथिलांचल के प्रचलित अछि जे ''उत्तम खेती, मध्यम, अधमचाकरि, भीख, निदान'' तैं हेतु कृषि के उद्योग क दर्जा दय एकर वैज्ञानिक जाकारी सँ केला उपरान्त भारत राष्ट्र कृषि प्रधान देश कहावल छल।
ई प्रभाग कृषि सँ संम्बन्धित नीति आ योजना, बागवानी, माछ पालन, गाँव के विकास के जानकारी उपलब्ध करवैत अछि।
ई प्रभाग कृषि सम्बन्धित नव-नव खोज के, कृषि ऋण का बीमा के जानकारी दैत अछि।
ई प्रभाग विभिन्न प्रकार के एजेंसि, कृषि, पशुपालन, माछ पालन, कृषि विज्ञान संस्थान, कृषि पोर्टल, मंत्रालय, कमोडिटी बोर्ड आ सम्पर्क सूची के बारे मे जानकारी दैत अछि।
कृषि अहइ के अंतगर्त मशरूम के खेती, मधुमाछी पालन, मखान के खेती, मसाला के खेती आदि के जानकारी प्राप्त भेला सँ किसान बंधु के कैंचा के नगदी फायदा होइत छै।
कृषि चर्चा मंच सँ जुड़ल अनेक विषय पर विचार कै, विचार, सूचना आदि के आदान-प्रदान कैला स सेहो कृषि बंधु के फायदा होइत छै।
अंतिम बेर संशोधित : 12/4/2020